इस साल हुए वार्षिक बोर्ड परीक्षा 2024 में देशभर में 65 लाख से ज्यादा छात्र 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा पास नहीं कर पाए थे। अलग-अलग राज्य बोर्डों में फेल होने की दर केंद्रीय बोर्ड से ज्यादा थी। यह जानकारी शिक्षा मंत्रालय (MoE) के अधिकारियों ने दी।
देश के 56 राज्य बोर्डों और तीन राष्ट्रीय बोर्डों समेत 59 स्कूल बोर्डों के 10वीं और 12वीं के नतीजों के विश्लेषण से पता चला है कि सरकारी स्कूलों से 12वीं की परीक्षा में ज्यादा लड़कियां शामिल हुईं, लेकिन निजी स्कूलों और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में स्थिति इसके उलट है।
शिक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “10वीं के करीब 33.5 लाख छात्र अगली कक्षा में नहीं पहुंच पाए। 5.5 लाख परीक्षार्थी परीक्षा में शामिल नहीं हुए, जबकि 28 लाख फेल हो गए।”
12वीं कक्षा का ये हैं हाल
इसी तरह 12वीं के करीब 32.4 लाख छात्र पास नहीं हो सके। 5.2 लाख छात्र परीक्षा में शामिल नहीं हुए जबकि 27.2 लाख छात्र फेल हो गए। 10वीं में केंद्रीय बोर्ड में छात्रों की असफलता दर छह फीसदी रही जबकि राज्य बोर्ड में यह 16 फीसदी रही।
12वीं में केंद्रीय बोर्ड में असफलता दर 12 फीसदी है जबकि राज्य बोर्ड में यह 18 फीसदी है। मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि दोनों कक्षाओं में ओपन स्कूलों का प्रदर्शन खराब रहा। 10वीं में फेल होने वाले सबसे ज्यादा छात्र मध्य प्रदेश बोर्ड से थे, उसके बाद बिहार और उत्तर प्रदेश का स्थान था जबकि 12वीं में फेल होने वाले सबसे ज्यादा छात्र उत्तर प्रदेश से थे, उसके बाद मध्य प्रदेश का स्थान था।
अधिकारी ने कहा, “पिछले साल की तुलना में 2023 में छात्रों के समग्र प्रदर्शन में गिरावट आई है। यह परीक्षा के लिए बड़े पाठ्यक्रम के कारण हो सकता है।” सरकारी स्कूलों से 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में लड़कों की तुलना में अधिक लड़कियां शामिल हुईं। अधिकारी ने कहा, “यह अभिभावकों द्वारा शिक्षा पर खर्च करने में लैंगिक पूर्वाग्रह को दर्शाता है। हालांकि, सरकारी, सहायता प्राप्त और निजी स्कूलों में पास होने के मामले में लड़कियां सबसे आगे हैं।”