यूजीसी ने ललित नारायण मिथिला और कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय को डिफॉल्टर घोषित कर दिया है, Unveiling UGC declares दोनों विश्वविद्यालय गुरुवार को जारी डिफॉल्टर विश्वविद्यालयों की सूची में शामिल हैं।
लोकपाल की नियुक्ति और उसके नियमों का पालन नहीं करने पर यह कार्रवाई की गई है, यूजीसी ने 11 अप्रैल 2023 को अधिसूचना जारी की थी। इसमें सभी विश्वविद्यालयों को 30 दिनों के भीतर लोकपाल नियुक्त करने का निर्देश दिया गया था।
नियमों का नहीं कर रहे थे पालन
University Grants Commission (UGC) ने ललित नारायण मिथिला और कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय को डिफॉल्टर घोषित कर दिया है। दोनों विश्वविद्यालय गुरुवार को जारी डिफॉल्टर विश्वविद्यालयों की सूची में शामिल हैं, लोकपाल की नियुक्ति और उसके नियमों का पालन नहीं करने पर यह कार्रवाई की गई है।
यूजीसी ने 11 अप्रैल 2023 को अधिसूचना जारी की थी। इसमें सभी विश्वविद्यालयों को 30 दिनों के भीतर लोकपाल नियुक्त करने का निर्देश दिया गया था। कई बार विश्वविद्यालयों को रिमाइंडर भी भेजा गया, आखिरी रिमाइंडर 5 दिसंबर 2023 को भेजा गया था, इसमें 31 दिसंबर 2023 तक की मोहलत दी गई थी। संस्कृत विवि में लोकपाल की नियुक्ति तो कर दी गयी, लेकिन इसकी जानकारी यूजीसी को नहीं दी गयी। साथ ही कई मानकों का भी ख्याल नहीं रखा गया, वहीं मिथिला विश्वविद्यालय में लोकपाल की नियुक्ति नहीं की गयी।
आपको बता दें कि ज्यादा फीस वसूलने समेत कई तरह की शिकायतों पर कार्रवाई और नियंत्रण के लिए यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों को जल्द लोकपाल नियुक्त करने का निर्देश दिया था, यह भी सुझाव दिया गया कि वह यह पूरी प्रक्रिया नये शैक्षणिक सत्र शुरू होने से पहले पूरी कर लें। लोकपाल को छात्रों की शिकायत पर 30 दिन के अंदर फैसला लेने का नियम है, लोकपाल के पद पर किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश, पूर्व कुलपति या प्रोफेसर को ही नियुक्त किया जाना है।