को पटना हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है, इस फैसले में हाई कोर्ट ने साफ कर दिया कि बीएड डिग्री धारक प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक बनने के पात्र नहीं हैं।
हाई कोर्ट ने यह भी कहा है कि इस आधार पर की गई नियुक्तियों पर दोबारा काम करना होगा, खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि प्राथमिक कक्षाओं में केवल डीएलएड डिग्रीधारी शिक्षकों की ही नियुक्ति की जायेगी।
कक्षा एक से पांच तक के लिए 22 हजार नियोजित शिक्षकों की बहाली की गयी
प्राथमिक शिक्षक का कहना है कि अभी ऑर्डर शीट नहीं आई है। सिर्फ अफवाह फैलाई गई है, 2022 में छठे चरण में 42 हजार नियोजित शिक्षकों की बहाली हुई, इसमें कक्षा एक से पांच तक के लिए 22 हजार नियोजित शिक्षकों की बहाली की गयी थी।
सरकार द्वारा बहाली के दो साल के भीतर उन्हें ब्रिज कोर्स करना पड़ा। बिहार सरकार ने अब तक यह काम नहीं कराया है. सरकार को नियुक्ति के दो साल के भीतर यह कोर्स संचालित करना था।
Big Shock to B.ed Teachers in Bihar पटना हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में नेशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन (एनसीटीई) की 2018 की अधिसूचना को रद्द कर दिया, जिसमें प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों की नियुक्ति के लिए बीएड को अनिवार्य योग्यता के रूप में शामिल किया गया था। हाई कोर्ट ने इस फैसले में साफ कर दिया कि बीएड डिग्री धारक प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक बनने के पात्र नहीं हैं।
Big Shock to B.ed Teachers in Bihar के मामले में हाईकोर्ट ने 2 दिसंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था
शिक्षक संघ का कहना है कि 2 दिसंबर को बीएड शिक्षकों के मामले में हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इसके बाद से बीएड योग्यताधारी शिक्षकों की सांसें अटकी हुई हैं।
सभी शिक्षक कोर्ट के आदेश का इंतजार कर रहे थे। इसी बीच कोर्ट का फैसला आने से पहले ही बीएड योग्यताधारी शिक्षकों को नौकरी से हटाने की बात सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है, इसकी जांच होनी चाहिए कि क्या ऐसा है।
हाई कोर्ट ने यह भी कहा है कि इस आधार पर की गई नियुक्तियों पर दोबारा काम करना होगा, वर्ष 2010 की एनसीटीई की मूल अधिसूचना के अनुसार, योग्य उम्मीदवारों को केवल उसी पद पर जारी रखा जा सकता है जिस पद पर उन्हें नियुक्त किया गया है।
इन्हें ही प्राइमरी कक्षाओं में नियुक्ति मिलेगी
मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन एवं न्यायमूर्ति राजीव राय की खंडपीठ ने ललन कुमार एवं अन्य की ओर से दायर याचिकाओं को स्वीकार करते हुए उक्त आदेश दिया, खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि प्राथमिक कक्षाओं में केवल डीएलएड डिग्रीधारी शिक्षकों की ही नियुक्ति की जायेगी।
याचिकाकर्ताओं ने एनसीटीई द्वारा 28 जून 2018 को जारी अधिसूचना को चुनौती दी थी, जिसमें प्राथमिक कक्षाओं में बीएड डिग्री धारक शिक्षकों को पात्र माना गया था, इस अधिसूचना को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया था।
एनसीटीई ने 28 जून 2018 को एक अधिसूचना जारी कर कहा था कि बीएड डिग्री धारक प्राथमिक कक्षाओं में शिक्षक पद पर नियुक्ति के लिए पात्र होंगे, प्राथमिक शिक्षा में 2 साल के भीतर 6 महीने का ब्रिज कोर्स करने का प्रावधान था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सर्वेश शर्मा बनाम केंद्र सरकार और अन्य के मामले में एनसीटीई की उस अधिसूचना को रद्द कर दिया।