पटना हाई कोर्ट के फैसले के बाद बिहार के करीब 22 हजार बीएड शिक्षकों की नौकरी खतरे में पड़ गई है। बुधवार को पटना हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए बीएड डिग्री धारकों को प्राथमिक कक्षाओं में पढ़ाने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया है।
पटना हाई कोर्ट का कहना है कि केवल D.El.Ed वाले ही प्राथमिक कक्षाओं यानी कक्षा 1 से 5 तक के स्कूली बच्चों को पढ़ा सकते हैं, इस फैसले के बाद सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या बिहार में 22 हजार B.Ed Teachers शिक्षकों की नौकरी चली जाएगी? दरसअल Patna High Court ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में National Council for Teachers Education (NCTE की 2018 की अधिसूचना को रद्द कर दिया, जिसमें प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों की नियुक्ति के लिए बीएड को अनिवार्य योग्यता के रूप में शामिल किया गया था।
हाई कोर्ट ने इस फैसले में साफ कर दिया कि बीएड डिग्री धारक प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक बनने के पात्र नहीं हैं। हाई कोर्ट ने यह भी कहा है कि इस आधार पर की गई नियुक्तियों पर दोबारा काम करना होगा। वर्ष 2010 की एनसीटीई की मूल अधिसूचना के अनुसार, योग्य उम्मीदवारों को केवल उसी पद पर जारी रखा जा सकता है जिस पद पर उन्हें नियुक्त किया गया है।
इन्हें ही प्राइमरी कक्षाओं में नियुक्ति मिलेगी
मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन एवं न्यायमूर्ति राजीव राय की खंडपीठ ने ललन कुमार एवं अन्य की ओर से दायर याचिकाओं को स्वीकार करते हुए उक्त आदेश दिया, खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि प्राथमिक कक्षाओं में केवल डीएलएड डिग्रीधारी शिक्षकों की ही नियुक्ति की जायेगी। याचिकाकर्ताओं ने एनसीटीई द्वारा 28 जून 2018 को जारी अधिसूचना को चुनौती दी थी, जिसमें प्राथमिक कक्षाओं में बीएड डिग्री धारक शिक्षकों को पात्र माना गया था। इस अधिसूचना को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया था।
एनसीटीई ने 28 जून 2018 को एक अधिसूचना जारी कर कहा था कि बीएड डिग्री धारक प्राथमिक कक्षाओं में शिक्षक पद पर नियुक्ति के लिए पात्र होंगे। प्राथमिक शिक्षा में 2 साल के भीतर 6 महीने का ब्रिज कोर्स करने का प्रावधान था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सर्वेश शर्मा बनाम केंद्र सरकार और अन्य के मामले में एनसीटीई की उस अधिसूचना को रद्द कर दिया।
क्या 22 हजार B.Ed Teachers शिक्षकों की जाएगी नौकरी?
अब बड़ा सवाल ये है कि क्या पटना हाई कोर्ट के फैसले के बाद 2020-21 में बहाल हुए करीब 22 B.Ed Teachers की नौकरी चली जाएगी? फिलहाल पटना हाई कोर्ट के न्यायक्षेत्र में आने वाले बीएड शिक्षकों को घबराने की जरूरत नहीं है, वे सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक यह नहीं बताया है कि प्राथमिक स्तर के लिए B.Ed Teachers पर 11 अगस्त 2023 को लिया गया फैसला कब लागू होगा। क्या न्यायालय का निर्णय संभावित या पूर्वव्यापी है? कोर्ट इस पर जल्द ही स्पष्टीकरण दे सकता है।
अर्नब घोष की याचिका पर अगले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है, जिसमें उम्मीद जताई जा रही है कि कोर्ट इस फैसले को प्रोस्पेक्टिव यानी फैसले की तारीख के बाद लागू कर सकता है। अगर ऐसा हुआ तो हाई कोर्ट को भी वह फैसला मानना पड़ेगा और बीएड शिक्षकों की नौकरी बच जायेगी।
इससे पहले मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट भी ऐसे ही मामलों में याचिकाकर्ताओं को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करने को कह चुका है।
ये हैं पूरा मामला
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति राजीव राय की खंडपीठ ने प्राथमिक शिक्षकों के लिए बैचलर ऑफ एजुकेशन (बीएड) डिग्री धारकों को कोई राहत नहीं दी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में पटना हाईकोर्ट ने बीएड डिग्रीधारियों को प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ाने के लिए सक्षम नहीं माना है, बेंच ने एक साथ तीन अलग-अलग मामलों की सुनवाई के बाद अपना फैसला सुनाया है।
हाईकोर्ट कोर्ट ने खुद को संविधान के अनुच्छेद 141 के तहत सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बंधा हुआ बताया है, और राज्य सरकार से इस फैसले का पालन करने को कहा है। पटना हाईकोर्ट ने एनसीटीई द्वारा 28 जून 2018 को जारी अधिसूचना को कानूनी तौर पर गलत करार दिया है। उक्त अधिसूचना में बीएड डिग्री धारकों को प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा 1 से कक्षा 5 तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए पात्र माना गया था। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए साफ कर दिया कि राज्य के प्राइमरी स्कूलों में बीएड डिग्रीधारकों की नियुक्ति नहीं होगी।
इससे पहले 11 अगस्त 2023 को सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने फैसला सुनाया था कि बीएड उम्मीदवार को प्राथमिक विद्यालय की कक्षा एक से पांच तक में शिक्षक के रूप में नियुक्ति के लिए योग्य नहीं माना जा सकता है।
आपको बता दें कि बिहार में छठे चरण की शिक्षक नियुक्ति 2021 में की गई थी। इस नियुक्ति प्रक्रिया के बाद पटना हाई कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गईं थीं, जिसमें इस पद पर बीएड पास अभ्यर्थियों की नियुक्ति पर रोक लगाने की मांग की गई थी।
इस मामले में राज्य सरकार ने एनसीटीई की 2018 की अधिसूचना का हवाला देते हुए कहा था कि एनसीटीई ने कक्षा एक से पांच तक के शिक्षक पद पर बीएड पास अभ्यर्थियों की नियुक्ति को मंजूरी दे दी है, लेकिन अब कोर्ट ने उनकी इस दलील को स्वीकार कर लिया है. सरकार। बीएड पास अभ्यर्थियों को अस्वीकृत कर बड़ा झटका दिया है।
पटना हाईकोर्ट ने नये सिरे से नियुक्ति का आदेश दिया
कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि छठे चरण में कक्षा 1 से 5 तक के लिए नियुक्त किये गये बीएड पास अभ्यर्थियों को अब नये सिरे से नियुक्ति प्रक्रिया अपनानी होगी। कोर्ट ने सरकार से एनसीटीई द्वारा 2010 में जारी मूल अधिसूचना के अनुसार अभ्यर्थियों की नियुक्ति करने को कहा है।
पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी कहा है कि शिक्षकों के रिक्त पदों को कैसे भरा जाये। 2021 और 2022 में प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्तियों से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा, ‘कहने की जरूरत नहीं है कि जो नियुक्तियां की गई हैं, उन पर दोबारा काम करना होगा।