अगर आप जानना चाहते हैं की Hindi Lipi Kise Kahate Hain? तो आप एकदम सही पोस्ट पढ़ रहे हैं। आज हम इस पोस्ट में Lipi Kise Kahate Hain के बारे में विस्तार से चर्चा करने जा रहे हैं। हमें पूरी उम्मीद हैं के आपके द्वारा Hindi Bhasha Ki Lipi को अंत तक पढ़ने के पश्चात लिपि किसे कहते हैं? के बारे में पूर्ण जानकारी अवश्य ही प्राप्त हो होगा।
आज के इस लेख में हम आपको बताएंगे कि लिपि क्या है? और लिपि कितने प्रकार की होती है? अथवा लिपि किसे कहते हैं? इन सभी सवालों के जवाब जानकारी देने वाले हैं। प्राचीन काल से ही लोग अपने संदेश को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुँचाने के लिए भाषा का प्रयोग करते हैं।
किसी व्यक्ति द्वारा किसी अन्य व्यक्ति को अपनी बात कहने या लिखने के लिए जिस माध्यम का प्रयोग किया जाता है, उसे भाषा कहते हैं। जैसा कि आप जानते ही होंगे कि इस धरती पर कई भाषाएं मौजूद हैं और उन सभी भाषाओं के लिखने का तरीका अलग है, जिसे हम आमतौर पर लिपि कह सकते हैं। लेकिन इसके बारे में सारी जानकारी देने जा रहे हैं.
Lipi Kise Kahate Hain
जब हम कुछ बोलते हैं तो वह ध्वनि का एक रूप होता है। यदि हम इस ध्वनि रूप को एक संकेत दें और इसे व्यवस्थित रूप में लिखें, तो (Lipi Kise Kahate Hain) भाषा का वह चिन्ह या संरचना जो लिखित रूप में होती है, लिपि कहलाती है। सरल भाषा में इस प्रकार कहा जा सकता है कि भाषा या बोली लिखने के तरीके को लिपि कहते हैं।
किसी भी भाषा की लिखावट या लिखने के तरीके को लिपि कहते हैं। ध्वनि (आवाज) लिखने के लिए जिन प्रतीकों का प्रयोग किया जाता है उन्हें (Lipi Kise Kahate Hain) लिपि कहते हैं। एक लिपि में लिखे गए पाठ का दूसरी लिपि में परिवर्तन लिप्यंतरण कहलाता हैं।
बहुत से लोग लिपि और भाषा में भ्रमित हो जाते हैं। लेकिन हम आपको बताना चाहते हैं कि लिपि और भाषा दो अलग-अलग हैं।
लिपि और भाषा दो अलग-अलग चीजें हैं। भाषा वह है जो बोली जाती हैं, लिखने के लिए भाषा को लिपि में ही लिखना होता हैं। किसी भाषा को उसकी सामान्य लिपि से दूसरी लिपि में इस प्रकार लिखना कि कोई वास्तविक अनुवाद न हो, लिप्यंतरण कहलाता हैं।
सामान्यतया विश्व भर में प्रयोग की जाने वाली भाषाओं की संख्या इस समय हजारों में है, इसलिए इस समय इन भाषाओं को लिखने के लिए लगभग दो दर्जन लिपियों का ही प्रयोग किया जा रहा है। और फिर जुड़े हुए लोगों के गहन अध्ययन से पता चलता है कि दुनिया में केवल तीन प्रकार की मूल लिपियाँ या लिपियों के परिवार हैं।
किसी भी भाषा की लिखावट या लिखने के तरीके को लिपि या लेखन प्रणाली कहा जाता हैं। या, भाषा में ध्वनियों को लिखने के लिए जिन प्रतीकों का प्रयोग किया जाता है, उन्हें लिपि कहते हैं।
Hindi Ki Lipi Kya Hai
लिपि के कुल 3 प्रकार होते हैं, जिसमें से चित्रलिपि, अल्फाबेटिक लिपियाँ एवं अल्फासिलैबिक लिपियाँ शामिल हैं। आइए अब थोड़ा विस्तार से सभी लिपि फैमिली या ग्रुप के बारे में जानते हैं।
चित्रलिपि
- जापान, चीन और कोरिया में उपयोग की जाने वाली लिपि हैं।
- ब्राह्मी से प्राप्त लिपियाँ: दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया में उपयोग की जाने वाली देवनागरी लिपियाँ।
- फोनीशियन से प्राप्त लिपियाँ: वर्तमान में यूरोप, मध्य एशिया और उत्तरी अफ्रीका में उपयोग की जाने वाली लिपियाँ।
उपरोक्त तीनों लिपियों में तीनों का विकास विभिन्न प्रकार के क्षेत्रों में हुआ। जो पहाड़ों और रेगिस्तानों द्वारा एक दूसरे से अलग-अलग स्थित हैं।
अल्फाबेटिक लिपियाँ
- लैटिन लिपि(रोमन लिपि): अंग्रेज़ी, जर्मन, फ्रांसिसी, कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग और पश्चिमी और मध्य यूरोप की सारी भाषाएँ।
- यूनानी लिपि: यूनानी भाषा और कुछ गणितीय चिन्ह।
- अरबी लिपि: अरबी, उर्दू, फ़ारसी और कश्मीरी।
- इब्रानी लिपि: इब्रानी।
- सीरिलिक लिपि: रूसी और सवियत संघ की अधिकांश भाषाएँ।
इसमें व्यंजन के बाद स्वर उनके पूर्ण अक्षर का रूप धारण करने के लिए आते हैं।
अल्फासिलैबिक लिपियाँ
- देवनागरी लिपि: हिन्दी, उर्दू (नस्तालीक लिपि भी), संस्कृत, मराठी, नेपाली।
- ब्राह्मी: प्राचीन काल में संस्कृत और पालि।
- गुरुमुखी: पंजाबी।
- तमिल: तमिल।
- गुजराती लिपि: गुजराती।
- बंगाली: बांगला।
इसकी प्रत्येक इकाई में एक या एक से अधिक व्यंजन होते हैं। और यह स्वर की मात्रा के साथ चिह्नित है। यदि इकाई में कोई व्यंजन नहीं है, तो स्वर का पूरा चिन्ह लिखा जाता है।
चित्र लिपियाँ
- प्राचीन मिस्री: प्राचीन मिस्री।
- चीनी: चीनी (मंदारिन, कैण्टोनी)।
- कांजी: जापानी।
देवनागरी एक लिपि है जिसमें कई भारतीय भाषाएँ और कुछ विदेशी भाषाएँ लिखी जाती हैं। देवनागरी में संस्कृत, हिंदी, पाली, मराठी, सिंधी, कोंकणी, कश्मीरी, तमाल भाषा, नेपाली, गढ़वाली, अंगिका, बोडो, मगही, मैथिली, भोजपुरी, संथाली आदि भाषाएँ लिखी गई हैं। इसके अलावा, कुछ मामलों में देवनागरी में गुजराती, बिष्णुपुरिया, पंजाबी, मणिपुरी, रोमानी और उर्दू भाषाएं भी लिखी जाती हैं।
अधिकांश भाषाओं की तरह देवनागरी भी बाएँ से दाएँ लिखी जाती है। प्रत्येक शब्द के ऊपर एक रेखा खींची जाती है (कुछ अक्षरों में कोई रेखा नहीं होती), इसे शिरोरेखा कहते हैं। यह ब्राह्मी लिपि से विकसित हुआ है। यह एक ध्वन्यात्मक लिपि है जो मौजूदा लिपियों (अरबी, रोमन, चीनी आदि) में सबसे अधिक वैज्ञानिक है।
यह वैज्ञानिक और व्यापक लिपि को शायद एकमात्र आईपीए लिपि बनाता है। भारत की कई लिपियाँ देवनागरी से बहुत मिलती-जुलती हैं, जैसे; गुजराती, बांग्ला, गुरुमुखी आदि। कंप्यूटर प्रोग्राम की मदद से भारतीय लिपियों को बदलना बहुत आसान हो गया है।
Types Of Hindi Lipi | Hindi Bhasha Ki Lipi
- ब्रामही लिपि (Bramhi Lipi)
- देवनागरी लिपि (Devnagri Lipi)
- गुरुमुखी लिपि (Gurumukhi Lipi)
- अरबी लिपि (Arbi Lipi)
- रोमन लिपि (Roman Lipi)
- गुजराती लिपि (Gujrati Lipi)
- बंगाली लिपि (Bangali Lipi)
- तमिल लिपि (Tamil Lipi)
- चीनी लिपि (Chini Lipi)
- कांजी लिपि (Kanji Lipi)
- ब्रेल लिपि (Brel Lipi)
आइए अब इन सारी लिपि को विस्तार से समझने का प्रयास करते हैं।
ब्रामही लिपि (Bramhi Lipi)
ब्राह्मी लिपि भारत की प्राचीनतम लिपि हैं, ब्राह्मी लिपि की शुरुआत सबसे पहले वैदिक आर्यों ने की थी। गुप्त काल में ब्राह्मी लिपि दो प्रकार की होती थी। जिसमें प्रथम उत्तरी ब्रामही लिपि और दुसरा दक्षिनी ब्रामही लिपि होते हैं।
उत्तरी ब्राह्मी लिपि
उत्तरी ब्राह्मी लिपि ब्राह्मी लिपि से ही ली गई हैं। उत्तरी ब्राम्ही लिपि से कई लिपियाँ निकली हैं जैसे:- देवनागरी लिपि, गुजरती लिपि, राजस्थानी लिपि, महाजनी लिपि और कैथी लिपि।
दक्षिणी ब्राह्मी लिपि
दक्षिनी ब्रामही लिपि से तमिल लिपि, तेलुगु लिपि, कलिंग लिपि, ग्रंथ लिपि, मलयालम लिपि ये सब लिपि दक्षिनी ब्रामही लिपि से ही ली गई हैं।
ब्रामही लिपि के उदाहरण
- सम्राट अशोक के शिलालेख
- रुममिंदेई — स्तम्भ लेख
- बराबर — ग्रुहा लेख
- मनसेहरा — सिलालेख
- साहबजगद्री — सिलालेख
- मस्को — सिलालेख
- कन्धार — द्रीभाषी सिलालेख
देवनागरी लिपि (Devnagri Lipi)
देवनागरी लिपि ब्रामही लिपि से निकली हैं। वनागरी लिपि को लोकनगरी और हिंदी लिपि भी कहा जाता हैं। भारत के संविधान के अनुच्छेद -343(क) मे राजभाषा देवनागरी और हिंदी भाषा होंगी। इस प्रकार 150 वर्षों (1800-1949ई.) के लम्बे संघर्ष के बाद देवनागरी लिपि हिन्दी भाषा की एकमात्र और अधिकृत लिपि बन गई।
- लोकनगरी लिपि की पहचान: देवनागरी लिपि बाएं से दाएं लिखी जाती हैं। देवनागरी लिपि को लिखने के लिए ऊपर शिरोरेखा का उपयोग किया जाता हैं। देवनागरी लिपि मे कुल वर्णों की संख्या 52 हैं।
- देवनागरी लिपि मे सयुक्ताक्षर का प्रयोग: द्वारिका प्रसाद सक्सेना के अनुसार देवनागरी लिपि का सर्वप्रथम प्रयोग गुजरात के राजा जयभट्ट (700-800 ई.) के शिलालेख में हुआ। दुवनागरी लिपि मे कई भाषा का समावेश किया जाता है। जैसे की; हिन्दी, मराठी, खस, संस्कृत, नेपाली, भोजपुरी, नागपुरी, डोगरी, कोंकणी, सिंधी, मगही इत्यादि।
- देवनागरी लिपि मे किये गई सुधार: सभी ध्वनि के लिए अलग-अलग वर्ण का उपयोग देवनागरी भाषा मे किया जाने का सुधार। बाल गंगाधर तिलक ने पहली बार फाट का सुधार किया था। सावरकर बंधु ने पहली बार देवनागरी भाषा मे ‘अ, आ, इ’ वाली बारखडी का का सुधार किया था। श्याम सुन्दर दास ने पंचमाक्षर के बदले अनुस्वार का उपयोग करने का सुझाव दिया था।
- जैसे की; गंड्गा (गंगा), (क, ख, ग, घ, ड)
- पतञ्जलि (पतंजलि), (च, छ, ज, झ, ज)
- कण्ठ (कंठ), (ट, ठ, ड, ढ, ण)
- गोरख प्रसाद ने व्यंजन के बाद मात्रा को दाहिनी ओर अलग रखने का सुझाव दिया।
- जैसे की; कुल को (क ुल)
- काशी नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा ‘अ’ की बारखडी को अस्वीकार किया था।
गुरुमुखी लिपि (Gurumukhi Lipi / Punjabi Bhasha Ki Lipi)
गुरुमुखी का सीधा सा अर्थ है गुरु के मुख से निकलने वाली लिपि। गुरुमुखी लिपि की शुरुआत अंगद देव ने की थी।
पंजाबी भाषा गुरुमुखी लिपि में लिखी जाती हैं। गुरुमुखी लिपि में 35 अक्षर होते हैं जिनमें 3 स्वर और 32 व्यंजन होते हैं।
अरबी लिपि (Arbi Lipi)
अरबी लिपि राइट टू लिफ्ट यानी दाएं से बाएं लिखी जाती हैं। अरबी लिपि में तीन प्रकार की भाषाएँ शामिल हैं जैसे:- अरबी, उर्दू और फ़ारसी।
रोमन लिपि (Roman Lipi)
अंग्रेजी सहित पश्चिमी यूरोप और मध्य यूरोप की सभी भाषाएँ रोमन लिपि में आती हैं। रोमन लिपि मे अंग्रेजी, फ्रांसीसी, जर्मन, स्पैनिश, इतालवी, पुर्तगाली, डच, रोमानियाई, स्वीडिश इत्यादि भाषा का समावेश होता हैं।
रोमन लिपि देवनागरी लिपि की तरह ही दाएँ से बाएँ यानि बाएँ से दाएँ लिखी जाती हैं। रोमन लिपि में कुल 26 वर्ण हैं, जिनमें 5 स्वर और 21 व्यंजन शामिल हैं।
गुजराती लिपि (Gujrati Lipi)
गुजराती लिपि नागरी लिपि से ली गई हैं, 1797 में पहली बार गुजराती लिपि को विज्ञापनों में छापा गया। सिरोरेखा का प्रयोग गुजराती लिपि में देवनागरी लिपि की तरह नहीं किया जाता हैं।
ब्रेल लिपि (Brel Lipi)
नेत्रहीन लोगों को पढ़ने और लिखने के लिए दुनिया भर में ब्रेल लिपि का उपयोग किया जाता हैं। ब्रेल लिपि का आविष्कार 1884 में एक नेत्रहीन फ्रांसीसी लेखक लुई ब्रेल ने 15 वर्ष की आयु में किया था।
ब्रेल लिपि में 64 अक्षर और 6 बिंदुओं का उपयोग करते हुए प्रतीक होते हैं। ब्रेल लिपि का प्रयोग पूरी दुनिया में होता है, इसका प्रयोग नेत्रहीन लोग करते हैं। आधुनिक ब्रेल लिपि में 8 बिंदु और 256 अक्षर, अंक, विराम चिह्न जैसी कई चीजों को पढ़ने की व्यवस्था है।
लिपि के उदहारण हिंदी में
लिपि के उदाहरण | लिपि की विशेषताओं |
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लैटिन लिपि (रोमन लिपि) | इंग्लिश सहित कई यूरोपीय भाषा इसी लिपि में लिखी जाती है |
देवनागरी लिपि | हिन्दी, संस्कृत, मराठी, नेपाली जैसी भाषा इसी लिपि में लिखी जाती है |
तमिल लिपि | तमिल भाषा को इस लिपि में लिखा जाता है| |
सीरिलिक लिपि | रशिया और सोवियेत की भाषा के लिए इस लिपि का उपयोग होता है| |
यूनानी लिपि | इस भाषा में गणितीय चिह्नों का प्रयोग किया जाता है| |
ब्राह्मी लिपि | प्राचीन पाली भाषा को इस लिपि में लिखी जाती थी| |
इब्रानी लिपि | इब्रानी भाषा को इसी लिपि में लिखा जाता है | |
गुरुमुखी लिपि | पंजाबी भाषा को इस लिपि में लिखा जाता है| |
बंगाली लिपि | बंगला भाषा को बंगाली लिपि में लिखा जाता है| |
गुजराती लिपि | गुजराती भाषा इसी लिपि में लिखी जाती है जो की| |
अरबी लिपि | अरबी भाषा के लिए | |
चीनी लिपि | चित्र लिपि है जो चीन की भाषा कैण्टोनी और मंदारिन के लिए है | |
कांजी लिपि | चित्र लिपि है जो जापानी भाषा के लिए उपयोग में ली जाती है| |
मिस्री लिपि | प्राचीन मिस्र की भाषा के लिए है| |
लिपि किसे कहते हैं
इस धरती पर कई भाषाएं हैं और उन भाषाओं की अपनी अलग-अलग लिपियां हैं। लेकिन एक अध्ययन से पता चला है कि इस धरती पर तीन मूल प्रकार की लिपियाँ हैं, जिसके बारे में हमने आपको पहले ही ऊपर बता दिया हैं।
हम किसी भी भाषा को लिखित रूप में व्यक्त करने के लिए किसी भी लिपि का उपयोग कर सकते हैं। उदाहरण के लिए यदि हम हिंदी भाषा को व्यक्त करने के लिए रोमन लिपि का प्रयोग करते हैं। जैसे – “मैं एक सच्चा भारतीय हूँ” तो यह कुछ इस तरह होगा – “Mai Ek Sachcha Bhartiye Hoon”।
यह कहना गलत नहीं होगा कि कोई भी भाषा किसी विशेष लिपि पर निर्भर नहीं है। यानी हम किसी भी भाषा को लिखित रूप में व्यक्त करने के लिए किसी भी लिपि का उपयोग कर सकते हैं। लेकिन फिर भी प्रत्येक भाषा को लिखित रूप में व्यक्त करने के लिए एक मानक लिपि का उपयोग किया जाता है। जो निम्न तालिका में दिया गया है।
भारत की 22 भाषाएं और उनकी लिपि
क्रम संख्या | भाषा का नाम | भाषा की लिपि |
1 | कोंकणी | कोंकणी अनेक लिपियों में लिखी जाती रही है; जैसे – देवनागरी, कन्नड, मलयालम और रोमन। गोवा को राज्य का दर्जा मिलने के बाद देवनागरी लिपि में कोंकणी को वहाँ की राजभाषा घोषित किया गया है। |
2 | मलयालम | मलयालम (“മലയാളം”) में शलाका लिपि |
3 | मणिपुरी | इस भाषा की अपनी लिपि है, जिसे स्थानीय लोग मेइतेई माएक कहते हैं। |
4 | मराठी | “मराठी” भाषा को लिखने के लिए देवनागरी और इसके प्रवाही स्वरूप मोदी, दोनों लिपियों का उपयोग होता है। |
5 | नेपाली | नेपाली |
6 | उड़िया | उड़िया (“ଓରିୟା”) |
7 | संस्कृत | संस्कृत |
8 | सिंधी | सिंधी भाषा मुख्यत: दो लिपियों में लिखी जाती है, अरबी-सिंधी लिपि |
9 | संथाली | इस भाषा की अपनी पुरानी लिपि का नाम ‘ओल चिकी’ है। अंग्रेजी काल में संथाली रोमन में लिखी जाती थी। |
10 | उर्दू | उर्दू (“اردو”) के लिए फ़ारसी-अरबी लिपि प्रयुक्त होती है। उर्दू नस्तालीक़ लिपि में लिखी जाती है, जो फ़ारसी-अरबी लिपि का एक रूप है। उर्दू दाएँ से बाएँ लिखी जाती है। |
11 | तेलुगु | तेलुगु (“తెలుగు”) |
12 | बोडो | – |
13 | तमिल | तमिल (“தமிழ்”) ऐतिहासिक रूप से तमिल लेखन प्रणाली का विकास ब्राह्मी लिपि से वट्टे-लुटटु (मुड़े हुए अक्षर) और कोले-लुट्टु (लम्बाकार अक्षर) के स्थानीय रूपांतरणों के साथ हुआ। तमिलनाडु तथा पुदुचेरी में यह राजभाषा है। |
14 | पंजाबी | पंजाबी (“ਪੰਜਾਬੀ”),गुरुमुखी |
15 | मैथिली | देवनागरी व तिरहुता लिपि। तिरहुता लिपि को मिथिलाक्षर लिपि अथवा मिथिलाक्षरा भी कहा जाता है। |
16 | असमिया | असमिया लिपि मूलत: ब्राह्मी का ही एक विकसित रूप है। |
17 | बंगाली/बांग्ला | बांग्ला (“বাংলা”) लिपि मूलत: ब्राह्मी लिपि और असमिया लिपि का विकसित रूप है।बंगाली लिपि नागरी लिपि से कुछ कुछ भिन्न है किन्तु दोनों में बहुत अधिक साम्य भी है। |
18 | डोगरी | डोगरी की अपनी एक लिपि है जिसे टाकरी या टक्करी लिपि कहते हैं। यह लिपि काफी पुरानी है। गुरमुखी लिपि का प्रादुर्भाव इसी से माना जाता है। |
19 | गुजराती | यह भाषा गुजराती लिपि में लिखी जाती है। गुजराती लिपि, नागरी लिपि से व्युत्पन्न हुई है। गुजराती भाषा में लिखने के लिए देवनागरी लिपि को परिवर्तित करके गुजराती लिपि बनायी गयी थी। |
20 | हिन्दी | देवनागरी |
21 | कश्मीरी | 15वीं सदी तक कश्मीरी भाषा केवल शारदा लिपि में लिखी जाती थी। बाद में फारसी लिपि का प्रचलन बढ़ता गया लेकिन आजकल यह देवनागरी में भी लिखी जा रही है। |
22 | कन्नड़ | कन्नड लिपि ब्राह्मी से व्युत्पन्न एक भारतीय लिपि है जिसका प्रयोग कन्नड लिखने में किया जाता है। |
Hindi Bhasha Ki Lipi
भाषा | मानक | संकेत ( उदाहरण ) |
हिंदी | देवनागरी | क |
संस्कृत | देवनागरी | क |
पंजाबी | गुरुमुखी | – |
अंग्रेजी | रोमन | K |
Last Word:
दोस्तों यहाँ पर आप लिपि किसे कहते हैं, आपको लिपि किसे कहते हैं (Hindi Lipi Kise Kahate Hain), Hindi Bhasha Ki Lipi से जुड़ा यह लेख कैसा लगा, आप नीचे कमेंट करके अवश्य जाएँ और अन्य लेख भी पढ़ें।