आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से हिंदी भाषा के अल्फाबेट्स के बारे में पूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं। अगर आप Alphabet In Hindi के बारे में सारी महत्पूर्ण बातें जानना चाहते हैं। तो इस पोस्ट को अवश्य ही पढ़े, Hindi Alphabet Letters बताने से पहले हम आपको पहले हिंदी भाषा की कुछ महत्पूर्ण बातें बता दे रहे हैं, ताकि आपको सारी जानकारी प्राप्त हो सकें।
हिंदी भारत की राष्ट्रीय भाषा है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा बोलने जाने वाली तीसरी भाषा है, हिंदी हमारी मुख्य भाषा है, इसलिए बचपन से हमें हिंदी वर्णमाला (Hindi Varnamala) और हिंदी वर्णमाला का ज्ञान मिलता है, हालांकि भारत में कई भाषाएं बोली जाती हैं।
हमारे देश भारत में कुल 22 भाषाएं बोली जाती हैं, लेकिन अपने देश की मुख्य भाषा हिंदी ही है। Hindi Alphabets कि सबसे बड़ी चीज ये हैं कि, हिंदी भाषा जैसे बोली जाती है ठीक वैसे ही लिखी भी जाती है। और हम आपको ये भी बता दें की, हिंदी एक बहुत ही प्राचीन भाषा है जो की लगभग 2000 वर्ष पुरानी है। इसलिए हिंदी भाषा न केवल भारत में बल्कि दुनिया के कई देशों, जैसे श्रीलंका, नेपाल, भूटान, बांग्लोदश, पाकिस्तान, म्यांमार, मालदीव, इंडोनेशिया, थाईलैंड, सिंगापुर, चीन, ब्रिटेन, जापान, जर्मनी, दक्षिण अफ्रीका, कनाडा, न्यूजीलैंड, मॉरिशस, युगांडा यमन, और त्रिनाड एंड टोबैगो इत्यादि।
Alphabet Meaning In Hindi
हिंदी राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, झारखंड और बिहार के उत्तरी भारतीय राज्यों में उपयोग की जाने वाली मुख्य भाषा है। यह पंजाबी, गुजराती, मराठी या बंगाली जैसी अन्य भाषाओं के साथ उत्तर और मध्य भारत में बोली जाती है। भारत के अन्य हिस्सों में, साथ ही साथ नेपाल, बांग्लादेश और पाकिस्तान में, हिंदी समझा जाता है।
हिंदी दक्षिणी नेपाल के तेराई निचले इलाकों में बगमती, जनकपुर और नारायणी जोनों में बोली जाती है, और यह दक्षिण अफ्रीका के पूर्व में क्वाज़ुलु-नेटाल प्रांत में बोली जाती है। हिंदी मुख्य रूप से भारत में और नेपाल, सिंगापुर और दक्षिण अफ्रीका में बोली जाने वाली एक भारत-आर्य भाषा है।
दुनिया भर में लगभग 600 मिलियन से ज्यादा हिंदी बोलने वाले इंसान हैं, जिनमें से 596 मिलियन अपने देश यानि के भारत देश में रहने एवं हिंदी बोलने वाले वक्तायें हैं। और अपने पड़ोसी देश नेपाल में 1.3 मिलियन हिंदी वक्ताओं, दक्षिण अफ्रीका (2003 में) में 361,000 हिंदी वक्ताओं, और सिंगापुर में 50,000 हिंदी वक्ताओं (2017 में) मौजूद थे।
Hindi Alphabet Letters Highlight
Native Name: | Hindi (हिन्दी) |
---|---|
वक्ताओं की संख्या | 600 Million + |
भाषा परिवार | Indo-European |
भाषा की शुरुआत | 4th century AD |
लेखन प्रणाली | Devanagari Script (देवनगरी) |
किन देशों में बोली जाती हैं | Mauritius, Fiji, Suriname, Guyana, Trinidad & Tabago, Bangladesh, Pakistan, Sri Lanka |
स्थिति: | The official language of the Government of India; Official Language of Delhi, Bihar, Haryana, Chhattisgarh, Himachal Pradesh, Jharkhand, Rajasthan, Madhya Pradesh, Uttar Pradesh, and Uttarakhand states. |
भाषा कोड | Hi |
How Many Alphabet In Hindi
जैसे की, अंग्रेजी भाषा वॉवेल और व्यंजन होते हैं। ठीक इसी तरह से, हिंदी भाषा में भी स्वर और व्यंजन होते हैं। आपको बता दें की, हिंदी में सभी स्वरों शुरुआत में दिखाई देते हैं और व्यंजन एक और समूह बनाते हैं। भारत सरकार द्वारा, मानक हिंदी वर्णमाला में 11 स्वर और 35 व्यंजन शामिल किये गए हैं। लेकिन, परंपरागत रूप से, हिंदी वर्णमाला में 13 स्वरों और 33 व्यंजन प्रयोग किये जाते हैं।
हालांकि, हिंदी भाषा सीखना बहुत आसान है लेकिन आज की आधुनिक, अंग्रेजी भाषा को अधिक जोर दिया जाता है, जिसके कारण बच्चों को Hindi Alphabet Letters और Hindi Alphabet In English में बहुत परेशानी होती है।
हिंदी में वर्णमाला में 36 व्यंजन और 12 स्वर हैं। हिंदी बाईं ओर से दाईं ओर लिखा गया है जो अंग्रेजी भाषा के समान है। हिंदी भाषा देवनागरी लिपि नामक एक स्क्रिप्ट में लिखी गई है। और हिंदी भाषा के 12 स्वरों और 36 व्यंजनों का एक ही उच्चारण अंग्रेजी के समान होता है। इसलिए, हिंदी लेखन प्रणाली को तेजी से सीखना आसान है।
हिंदी वर्णमाला सीखना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। हालांकि, अगर आप प्रवाह की दिशा में अपनी प्रगति को तेजी से ट्रैक करना चाहते हैं। जब बच्चों को अंग्रेजी सिखाई जाती है, तो उन्हें पहले वर्णमाला के साथ सिखाया जाता है, उदहारण के तौर पर, A के लिए APPLE और B के लिए BAT हिंदी भाषा सीखने के लिए, आपको पहले वर्णमाला सीखना होगा। तो, चलिए अब हम आपको हिंदी वर्णमाला के बारे में छोटा सा विवरण देते हैं।
how many letters in hindi | a se anar chart | hindi word mala | hindi alphabet chart | hindi varnmala | hindi letters writing | hindi letters with words | hindi varnamala letter | hindi alphabet pronunciation | alphabet in hindi | hindi varnamala word mala | hindi varnamala images | english varnamala hindi kakko | hindi alphabet with pictures | hindi varnamala in english | हिंदी वर्णमाला में कितने वर्ण हैं | hindi varnamala chart pdf | hindi barakhadi images.
Varnamala In Hindi | हिंदी वर्णमाला सीखें
हिंदी वर्णमाला को बोलने एवं लिखने को सही तरीके से जानने के लिए, आपको सबसे पहले हिंदी व्याकरण के ज्ञान की आवश्यकता है, जिसकी मदद से हिंदी भाषा पर ज्ञान मजबूत होता है, और इससे आप बड़ी ही आसानी से हिंदी सीख सकते हैं।
इसलिए, हम आपको हिंदी वर्णमाला (Hindi Alphabets And Words) की महत्वपूर्ण चीजों के बारे में जानकारी दे रहे हैं, जो हिंदी वर्णमाला के नियमों के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे और यह हिंदी सीखने का एक अच्छा तरीका है।
What are Hindi Varnamala: हिंदी भाषा के वर्ण यानी की, Hindi Alphabet या Alphabet In Hindi के समूह या वर्णों को सही तरिके से लिखने अथवा बोलने की तरीक़े को ही वर्णमाला कहा जाता हैं, जैसे की; अ, आ, इ, ई, उ……ज्ञ, को देवनागरी वर्णमाला (Varanamala) बोला जाता हैं, एवं वर्ण भाषा की वह सबसे छोटी इकाई अथवा हिंदी भाषा की सबसे छोटी ध्वनि होती हैं, जिन वर्णों के टुकड़े न किये जा सकें, उन्हें वर्ण कहा जाता हैं।
जैसा के हमने आपको पहले ही बताया की, Hindi Varnamala / Hindi Alphabets And Words के उच्चारित एवं लेखन के अनुसार पर अलग अलग भागों में विभाजित / बाँटा गया हैं, इसके वजह से Hindi Alphabet में उच्चारण के आधार पर कुल 45 वर्ण शामिल होते हैं।जिसमें 10 स्वर वर्ण होते हैं, एवं 35 व्यंजन होते हैं औऱ लेखन के अनुसार कुल 52 वर्ण होते हैं, जिसमें 13 स्वर वर्ण शामिल होते हैं, 35 व्यंजन वर्ण औऱ 4 संयुक्त व्यंजन होते हैं।
हम आपको बता दें की, Hindi Varnamala को दो भागों विभाजित किया गया हैं। जिसमे पहला स्वर और दूसरा व्यंजन शामिल हैं। अब हम आपको स्वर एवं व्यजंन के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं, की ये क्या होते हैं? और यह कितने प्रकार के होते हैं।
स्वर क्या हैं?
वे सभी वर्ण जिनके उच्चारण में किसी अन्य दूसरे वर्णों की मदद की जरूरत नहीं होती, उनको स्वर कहा जाता है। अगर हम आपको दूसरे शब्दों में बताएं तो वो सभी वर्ण जिनके उच्चारण करते वक़्त में फेफ़ड़ों की हवा/वायु बिना रुके (अबाध गति से) मुख/मुंह से निकल जाए, उनको स्वर कहा जाता हैं।
स्वर के उच्चारण में कंठ, तालु का प्रयोग होता है। वहीं इसमें जीभ, होठ का प्रयोग नहीं किया जाता हैं। स्वर को दो भागों में विभाजित किया हैं, जिसमे से एक लेखन के तौर पर हैं, और दूसरा उच्चारण के तौर पर बाँटा गया हैं।
- उच्चारण के आधार पर स्वर: अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ इत्यादि।
- लेखन के आधार पर स्वर: अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अ:, ऋ इत्यादि।
स्वर के कितने प्रकार होते हैं?
हिन्दी व्याकरण की दृष्टि से स्वर तीन प्रकार के होते हैं, जिन्हें उच्चारण में लगने वाले समय के आधार पर विभाजित किया जाता है, स्वर में निम्नलिखित ह्रस्व स्वर, दीर्घ स्वर और प्लुत स्वर शामिल हैं।
स्वर के प्रकार कौन से हैं?
- ह्रस्व स्वर: वो सभी स्वर जिनके उच्चारण में काफी कम वक़्त लगता हैं, उनको ‘ह्रस्व स्वर’ कहा जाता हैं, जिसके निम्न उदाहरण हैं जैसे- अ, इ, उ इत्यादि।
- दीर्घ स्वर: वो सभी स्वर जिनके उच्चारण में ‘ह्रस्व स्वरों’ से थोड़ा ज्यादा वक़्त लगता हैं, उनको ‘दीर्घ स्वर’ कहा जाता हैं, जिसके निम्न उदाहरण हैं, जो की; आ, ई, ऊ इत्यादि।
- प्लुत स्वर: वो सभी स्वर जिनके उच्चारण में सबसे ज्यादा वक़्त लगता हैं, उनको ‘प्लुत स्वर’ कहा जाता हैं, जिसका उदाहरण हैं जैसे- ओउSSम्, राSSम इत्यादि।
व्यंजन क्या हैं?
वो सभी वर्ण जिनके उच्चारण में स्वरों का प्रयोग किया जाता हैं। यानी की वो सभी वर्ण जिनको स्वरों की मदद लेकर बोला जाता हैं। उन सभी वर्णों को व्यंजन कहा जाता हैं, इसलिए हर व्यंजन को बोलने के लिए ‘अ‘ का प्रयोग किया जाता हैं। हम आपको बता दें की, हिंदी वर्णमाला में कुल 35 व्यंजन शामिल होते हैं जो की, इस प्रकार हैं।
व्यंजन अल्फाबेट्स
क | ख | ग | घ | ङ |
च | छ | ज | झ | ञ |
ट | ठ | ड | ढ | ण |
ड़ | ढ़ | त | थ | द |
ध | न | प | फ | ब |
भ | म | य | र | ल |
व् | श | ष | स | ह |
तो दोस्तों, व्यंजनों का वर्गीकरण, हम आपको बता दें की, व्यंजन के अलग अलग प्रकार के आधार पर बाँटे गए है। व्यंजनों के विभाजन, व्यंजनों के वर्गीकरण के कुल 6 आधार हैं,जो निम्नलिखित हैं।
व्यंजन कितने प्रकार के होते हैं?
- स्पर्श व्यंजन / उदित व्यंजन (Sparsh Vyanjan),
- अंतःस्थ व्यंजन (Antasth Vyanjan),
- उष्म व्यंजन (Ushm Vyanjan),
- संयुक्त व्यंजन (Sanyukt Vyanjan),
- प्राण वायु के आधार पर व्यंजनके प्रकार
- (i) अल्पप्राण
- (ii) महाप्राण
- स्वर तंत्रियों के कंपन / घोष के आधार पर स्वरों के प्रकार
- (i) घोष या सघोष
- (ii) अघोष
स्पर्श व्यंजन / वर्गीय व्यंजन / उदित व्यंजन
वो सभी व्यंजन जिनके उच्चारण करने वक़्त विह्व के मूल उच्चारण स्थानों यानी की, कंठ, तालु, मूर्धा, दंत और ओष्ठ को स्पर्श करती है उनको स्पर्श व्यंजन कहा जाता हैं। इन व्यंजनों के शुरू के 5 वर्ग होते हैं, इसीलिए इनको वर्गीय व्यंजन भी बोला जाता हैं। इसके साथ ही ये सभी व्यंजन जिह्व के अलग अलग भागो से उच्चारण स्थानों के टकराने से उत्पन्न होते हैं, इसीलिए इनको उदित व्यंजन भी कहा जाता हैं। इनकी कुल संख्या 25 की होती है, जो निम्नलिखित हैं।
वर्ग | व्यंजन |
क वर्ग | क, ख, ग, घ, ङ। |
च वर्ग | च, छ, ज, झ, ञ। |
ट वर्ग | ट, ठ, ड, ढ, ण। |
त वर्ग | त, थ, द, ध, न। |
प वर्ग | प, फ, ब, भ, म। |
ऊष्म व्यंजन
जैसा के आपको उष्म शब्द सुनते ही समझ आ गया होगा की, ऊष्मा का अर्थ गर्मी या गर्माहट होता हैं। वो सभी वर्ण जिनका उच्चारण करते वक़्त गर्मी उत्पन्न होता हैं। यानि की, इनके उच्चारण में मुख/मुंह से हवा अथवा वायु के रगड़ खाने के वजह से ऊष्मा पैदा होता हैं। उनको ऊष्म व्यंजन कहा जाता हैं। इनकी कुल संख्या 4 होती है; जो की निम्नलिखित हैं श, ष, स, ह।
अन्त:स्थ व्यंजन
जैसा के आपको अन्त:स्थ व्यंजन शब्द सुनते ही समझ आ गया होगा की, अंत: का अर्थ होता है – भीतर या अंदर। वो सभी वर्ण जिनका उच्चारण करते वक़्त जीभ, मुँह के किसी भी भाग को पूरी तरह स्पर्श अथवा छूती नही हैं। अर्थात इनका उच्चारण मुख/मुंह के भीतर से होता है, उनको अंत:स्थ व्यंजन कहा जाता हैं।
संयुक्त व्यंजन
वो सभी व्यंजन दो वर्णों के मेल / मिलने /जुड़ने से बनते हैं, उन वर्णों को संयुक्त व्यंजन कहा जाता हैं। इनकी कुल संख्या 4 की होती हैं, जो की निम्नलिखित हैं; क्ष, त्र, ज्ञ, श्र।
- क्ष = क् + ष = क्षमा, रक्षा, कक्षा।
- त्र = त् + र = पत्र, त्रिशूल, त्रिनेत्र।
- ज्ञ = ज् + ञ = ज्ञान, विज्ञान, यज्ञ।
- श्र = श् + र = श्रवण, श्रम, परिश्रम।
प्राण वायु के आधार पर व्यंजनों के प्रकार
व्यंजन भी प्राण वायु के आधार पर बांटे जाते हैं। इसके अनुसार व्यंजन दो प्रकार के होते हैं।
- अल्पप्राण व्यंजन: वो सभी व्यंजन जिनके उच्चारण करते वक़्त प्राण वायु महाप्राण की तुलना में कम निकलता हो। या कम प्रयोग होता हैं, उनको अल्पप्राण कहा जाता हैं। इनकी कुल संख्या 19 की होती है। 5 वर्गों के विषम स्थान वाले वर्ण (15) + अंत:स्थ व्यंजन (4)। महाप्राण व्यंजन के प्रकार कुछ निम्न हैं; क, ग, ङ, च, ज, ञ, ट, ड, ण, त, द, न, प, ब, म, य, र, ल और व।
- नोट: सभी अंत:स्थ व्यंजन एवं और वर्ग के पहले, तीसरे, पांचवे स्थान के वर्ण ही अल्पप्राण वर्ण होते हैं।
- महाप्राण व्यंजन: वो सभी व्यंजन जिनके उच्चारण करते वक़्त प्राण वायु से अधिक निकले अथवा अधिक प्रयोग होता हैं। उनको महाप्राण कहा जाता हैं। इनकी कुल संख्या 14 होती है, 5 वर्गों के सम स्थान वाले वर्ण (10) + उष्म व्यंजन (4)। महाप्राण व्यंजन के प्रकार कुछ निम्न हैं; ख, घ, छ, झ, ठ, ढ, थ, ध, फ, भ, श, ष, स और ह।
- नोट: सभी उष्म व्यंजन एवं वर्ग के दूसरे चौथे स्थान के वर्ण ही महाप्राण वर्ण होते हैं।
स्वर तंत्रियों के कंपन / घोष के आधार पर व्यंजनों के प्रकार
घोष के आधार पर व्यंजन के प्रकार के आधार पर स्वरों के स्पंदन के आधार पर व्यंजन को दो भागों में बांटा गया है।
- घोष या सघोष व्यंजन: वो सभी व्यंजन जिनके उच्चारण करते वक़्त स्वर तंत्रियों में अधिक कंपन होता हैं, उनको घोष या सघोष वर्ण कहा जाता हैं। सघोष व्यंजन की कुल संख्या 20 की होती है। इनको वर्गों के 3,4,5 वर्ण (15) + अंत:स्थ व्यंजन(4) + ह, घोष व्यंजन के प्रकार कुछ निम्न हैं; ख, ग, ङ, ज, झ, ञ, ड, ढ, ण, द, ध, न, ब, भ, म, य, र, ल, व और ह।
- नोट: सभी अंत:स्थ व्यंजन, ह वर्ण एवं वर्गों के तीसरे, चौथे, पांचवे वर्ण घोष वर्ण के अंतर्गत आते हैं।
- अघोष व्यंजन: वो सभी व्यंजन जिनके उच्चारण करते वक़्त स्वर तंत्रियों में घोष वर्णों की तुलना में कम कम्पन होता हैं, उनको अघोष वर्ण कहा जाता हैं। इनकी कुल संख्या 14 की होती है। जिनमें वर्गों के 1,2 वर्ण (10) + श, ष, स शामिल हैं, अघोष व्यंजन के प्रकार कुछ निम्न हैं; क, ख, च, छ, ट, ठ, त, थ, प, फ, ष, श और स।
- नोट: श, ष, स वर्ण एवं वर्गों के पहले, दूसरे वर्ण अघोष वर्ण के अंतर्गत आते हैं।
उच्चारण स्थान के आधार पर व्यंजनों के प्रकार
उच्चारण स्थान | व्यंजन |
---|---|
कंठ स्थान | क वर्ग, ह। |
तालु स्थान | च वर्ग, य, श। |
मूर्धा स्थान | ट वर्ग, र, ष। |
दंत स्थान | त वर्ग, ल, स। |
ओष्ठ स्थान | प वर्ग। |
दंत + ओष्ठ स्थान | व। |
अयोगवाह किसे कहते हैं?
जो वर्ण न तो स्वर हैं और न ही व्यंजन हैं, वे योगवाह कहलाते हैं। ये स्वर नहीं हैं बल्कि इनमें स्वरों के समान आयतन भी हैं। इसलिए वे स्वरों के साथ लिखे गए हैं। उनका स्वतंत्र रूप से उपयोग नहीं किया जाता है। इनकी संख्या 2 है, यह अक्षर से बाहर है। वियोग दो प्रकार का होता है।
- अनुस्वार: अनुस्वार का उच्चारण नाक की मदद से होता है। जैसे की; अंकित, अंक, जंग इत्यादि। इसके उच्चारण ‘म‘ के जैसे होता हैं।
- विसर्ग: विसर्ग का उच्चारण कंठ के सहायता से होता है। जैसे की; दुःख, प्रायः, प्रातःकाल, दुःशासन इत्यादि। इनका उच्चारण ‘ह‘ के जैसे होता हैं।
Hindi Varanamala Pronunciation
अ | आ | इ | ई | उ |
a | aa | i | ee | u |
ऊ | ए | ऐ | ओ | औ |
oo | e | ai | o | au |
अं | अः | |||
am/an | aha | |||
क | ख | ग | घ | ङ |
ka | kha | ga | gha | da |
च | छ | ज | झ | ञ |
cha | chha | ja | jha | nya |
ट | ठ | ड | ढ़ | ण |
Ta | Tha | Da | Dha | Na |
त | थ | द | ध | न |
ta | tha | da | dha | na |
प | फ | ब | भ | म |
pa | pha | ba | bha | ma |
य | र | ल | व | श |
ya | ra | la | va | sha |
ष | स | ह | क्ष | त्र |
Sha | sa | ha | kSha | tra |
ज्ञ | ऋ | |||
gya | re |
Hindi Language Relationship To Other Languages
हिंदी उर्दू से निकटता से संबंधित है, पाकिस्तान की मुख्य भाषा, जो अरबी लिपि में लिखी गई है। भाषाविद मानक हिंदी और मानक उर्दू को खारी बोली बोली से प्राप्त विभिन्न औपचारिक रजिस्टरों के रूप में मानते हैं, जिसे हिंदुस्तान भी कहा जाता है।
लेखन प्रणाली में अंतर के अलावा, हिंदी और उर्दू के बीच दूसरा मुख्य अंतर यह है कि हिंदी में संस्कृत से अधिक शब्दावली होती है, जबकि उर्दू में फारसी से अधिक शब्दावली होती है। अनौपचारिक बोले गए स्तर पर, उर्दू और हिंदी के बीच कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं और उन्हें एक ही भाषा की किस्मों पर विचार किया जा सकता है।
Written Hindi
हिंदी में पहली बार 4 वीं शताब्दी ईस्वी के दौरान लिखित रूप में उपयोग किया जाना शुरू किया। यह मूल रूप से ब्राह्मी लिपि के साथ लिखा गया था, लेकिन 11 वीं शताब्दी ईस्वी के बाद से, यह देवनागरी वर्णमाला के साथ लिखा गया है। हिंदी में पहली मुद्रित पुस्तक जॉन गिलक्रिस्ट का हिंदुस्तान भाषा का व्याकरण था जिसे 1796 में प्रकाशित किया गया था।
हिंदी भाषा के बारे में दिलचस्प तथ्य
- हिंदी दुनिया की चौथी सबसे बोली जाने वाली भाषा है।
- 14 सितंबर 1949 को हिंदी की एक आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी के अनुकूलन को चिह्नित करने के लिए 14 सितंबर को हिंदी दिवास मनाया जाता है।
- हिंदी भाषा दुनिया भर में 600 मिलियन से अधिक द्वारा बोली जाती है।
- अंग्रेजी ने हिंदी से कई शब्द उधार लिए हैं। उदाहरण के लिए, बंगला, गुरु, जंगल, ठग, योग और कई अन्य।
- शब्द
हिंदी
का जन्म फारसी से हुआ है और उन्होंने इसे भारतीय लोगों को संदर्भित करने के लिए इस्तेमाल किया। - हिंदी में अधिकांश शब्दों को अरबी और फारसी शब्दों से उधार लिया जाता है।
- बिहार ने अंग्रेजों के शासन के दौरान 1881 में उर्दू की बजाय अपनी आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी को अपनाया था।
- हिंदी में, हर संज्ञा का अपना मर्दाना या स्त्री लिंग होता है।
- हिंदी की चार क्षेत्रीय किस्में हैं। वे हैं: उच्च हिंदी, साहित्यिक हिंदी, नागारी हिंदी, और मानक हिंदी।
Hindi Alphabet Letters Features
- हिंदी वर्णमाला देवनागरी लिपि में लिखी गई है जो बदले में ब्राह्मी लिपि में इसकी उत्पत्ति है।
- हिंदी बाईं ओर से दाईं ओर लिखा गया है जो अंग्रेजी के समान है।
- हिंदी में प्रत्येक चरित्र की अपनी लाइन है। उदाहरण के लिए (क, ख, ग)। इसके अलावा, हिंदी में पूर्ण शब्द इस पर एक क्षैतिज रेखा खींचकर समूहीकृत किए जाते हैं। उदाहरण के लिए, (हिंदी में लिखें)।
- हिंदी में अपनी संख्या प्रणाली है जिसका उपयोग संख्याओं को लिखने के लिए किया जाता है।
- हिंदी वर्णमाला में प्रत्येक पत्र की अपनी स्वतंत्र और विशिष्ट ध्वनि है। इसका मतलब है कि हिंदी शब्दों को बिल्कुल समझाया जाता है जैसा कि वे लिखे गए हैं। इसलिए, हिंदी सीखना बहुत आसान है।
- अवधि या पूर्ण स्टॉप की तरह, वाक्य के अंत में एक लंबवत दाएं स्ट्रोक का उपयोग वाक्य के अंत में आ गया है।
Hindi Numbers Counting
हिंदी गिनती हिंदी वर्णमाला सीखने के समान ही महत्वपूर्ण है, और इसलिए हमने आपको 1 से 100 तक की संख्याओं की तालिकाएँ प्रदान की हैं जिनमें आपको हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में जानकारी दी जाती है, जिससे यह आपके लिए और भी आसान हो जाता है।
Hindi Ginati 1 to 100
Numbers English | Numbers Hindi | Hindi Counting | Hinglish Counting |
---|---|---|---|
0 | ० | शून्य | Shuniye |
1 | १ | एक | Ek |
2 | २ | दो | Do |
3 | ३ | तीन | Teen |
4 | ४ | चार | Char |
5 | ५ | पांच | Panch |
6 | ६ | छह | Chah |
7 | ७ | सात | Saat |
8 | ८ | आठ | Aath |
9 | ९ | नौ | Nao |
10 | १० | दस | Das |
11 | ११ | ग्यारह | Gyaarah |
12 | १२ | बारह | Baarah |
13 | १३ | तेरह | Tehrah |
14 | १४ | चौदह | Chaudah |
15 | १५ | पंद्रह | Pandrah |
16 | १६ | सोलह | Solah |
17 | १७ | सत्रह | Satrah |
18 | १८ | अठारह | Atharah |
19 | १९ | उन्नीस | Unnis |
20 | २० | बीस | Bees |
21 | २१ | इक्कीस | Ikkis |
22 | २२ | बाईस | Baees |
23 | २३ | तेईस | Teais |
24 | २४ | चौबीस | Chaubis |
25 | २५ | पच्चीस | Pachchis |
26 | २६ | छब्बीस | Chhabbis |
27 | २७ | सताईस | Satais |
28 | २८ | अट्ठाईस | Atthais |
29 | २९ | उनतीस | Unatis |
30 | ३० | तीस | Tees |
31 | ३१ | इकतीस | Ikatees |
32 | ३२ | बत्तीस | Battees |
33 | ३३ | तैंतीस | Taintees |
34 | ३४ | चौंतीस | Chauntees |
35 | ३५ | पैंतीस | Paintees |
36 | ३६ | छत्तिस | Chhatees |
37 | ३७ | सैंतीस | Saintees |
38 | ३८ | अड़तीस | Adhtees |
39 | ३९ | उनतालीस | Untalees |
40 | ४० | चालीस | Chalis |
41 | ४१ | इकतालीस | Iktalis |
42 | ४२ | बयालीस | Byalis |
43 | ४३ | तैतालीस | Taitalis |
44 | ४४ | चवालीस | Chavalis |
45 | ४५ | पैंतालीस | Paintalis |
46 | ४६ | छयालिस | Chhyalis |
47 | ४७ | सैंतालीस | Saitalis |
48 | ४८ | अड़तालीस | Adtalis |
49 | ४९ | उनचास | Unachas |
50 | ५० | पचास | Pachas |
51 | ५१ | इक्यावन | Ikyavan |
52 | ५२ | बावन | Baavan |
53 | ५३ | तिरपन | Tirpan |
54 | ५४ | चौवन | Chauvan |
55 | ५५ | पचपन | Pachpan |
56 | ५६ | छप्पन | Chhappan |
57 | ५७ | सतावन | Satavan |
58 | ५८ | अठावन | Athaavan |
59 | ५९ | उनसठ | Unsadh |
60 | ६० | साठ | Saadh |
61 | ६१ | इकसठ | Iksadh |
62 | ६२ | बासठ | Baasad |
63 | ६३ | तिरसठ | Tirsadh |
64 | ६४ | चौंसठ | Chaunsadh |
65 | ६५ | पैंसठ | Painsadh |
66 | ६६ | छियासठ | Chiyasadh |
67 | ६७ | सड़सठ | Sadhsadh |
68 | ६८ | अड़सठ | Asdhsadh |
69 | ६९ | उनहतर | Unahtar |
70 | ७० | सत्तर | Sattar |
71 | ७१ | इकहतर | Ikahtar |
72 | ७२ | बहतर | Bahatar |
73 | ७३ | तिहतर | Tihatar |
74 | ७४ | चौहतर | Chauhatar |
75 | ७५ | पचहतर | Pachhatar |
76 | ७६ | छिहतर | Chhiyahatar |
77 | ७७ | सतहतर | Satahatar |
78 | ७८ | अठहतर | Adhahatar |
79 | ७९ | उन्नासी | Unnasi |
80 | ८० | अस्सी | Assi |
81 | ८१ | इक्यासी | Ikyasi |
82 | ८२ | बयासी | Byaasi |
83 | ८३ | तिरासी | Tirasi |
84 | ८४ | चौरासी | Chaurasi |
85 | ८५ | पचासी | Pachasi |
86 | ८६ | छियासी | Chhiyaasi |
87 | ८७ | सतासी | Sataasi |
88 | ८८ | अट्ठासी | Atthasi |
89 | ८९ | नवासी | Nauasi |
90 | ९० | नब्बे | Nabbe |
91 | ९१ | इक्यानवे | Ikyaanave |
92 | ९२ | बानवे | Baanave |
93 | ९३ | तिरानवे | Tiranave |
94 | ९४ | चौरानवे | Chauraanave |
95 | ९५ | पचानवे | Pachaanave |
96 | ९६ | छियानवे | Chiyaanave |
97 | ९७ | सतानवे | Sataanave |
98 | ९८ | अट्ठानवे | Adhaanave |
99 | ९९ | निन्यानवे | Ninyaanave |
100 | १०० | एक सौ | Ek Sau |
phonic sounds of english alphabets in hindi | hindi alphabet chart with english pronunciation | english letters in hindi | phonetics chart english to hindi | hindi letters chart | hindi alphabets and words for kids | alphabet of hindi | total words in hindi | hindi total letters | hindi total letters | hindi alphabets in english pdf | hindi alphabet to english | hindi varnamala in english pdf.
Learn Hindi | हिंदी स्वरमाला
Last Word:
आज के समय में अंग्रेजी वर्णमाला की तुलना में वर्णमाला (वाराणमाला) सीखना कठिन हो गया है क्योंकि आज हर कोई चाहता है कि उसका बच्चा अंग्रेजी स्कूल में पढ़े जिसके कारण हिंदी पर कम ध्यान दिया जाता है, इतनी सारी चीजें जो आज बहुत से बच्चे अंग्रेजी में जानते हैं कि उन्हें पता नहीं होता कि वे हिंदी में क्या कहते हैं।
हिंदी हमारी मातृभाषा है, इसलिए सबसे पहले हमें हिंदी बोलनी चाहिए और फिर अपनी मर्जी की भाषा सीखनी चाहिए, क्योंकि ऐसा नहीं है कि हम दूसरों की मातृभाषा को अपनी मातृभाषा बना सकें। न केवल हम अपनी भाषा बदलेंगे, बल्कि यह संस्कृति और संस्कृति में भी बदलाव लाएगा, लेकिन यहां हमारा मतलब यह नहीं है कि आप अंग्रेजी नहीं सीखते हैं, बल्कि आपकी पहली भाषा आपकी मातृभाषा होनी चाहिए।
हम आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख वाराणमाला और हिंदी वर्णमाला पढ़ना पसंद आया होगा, और आपको मिल गया होगा और यदि इस लेख में और कुछ लिखा है तो आप हमें कमेंट बॉक्स के माध्यम से भेजेंगे। कृपया बताओ।
तो मेरे प्यारे मित्रों, हमको पूर्ण यकीन हैं की, आपको हमारा ये आर्टिकल (Alphabet In Hindi, Hindi Alphabet In English, Hindi Alphabet Letters) अवश्य ही पसंद आया होगा। और आपको बहुत कुछ न्य जानने एवं सिखने को मिला होगा। ह
मने पूरी कोशिस की हैं, Alphabet In Hindi, Hindi Alphabets And Words से जुडी पूर्ण जानकारी आपको दे सकें, इसके बावजूद भी हमसे कुछ छूट गया हो। अथवा कोई ऐसा पॉइंट जो इसमें जोड़ना चाहिए तो कृपया अपनी महत्पूर्ण कमैंट्स निचे कमेंटबॉक्स में अवश्य ही करे, साथ ही इस पोस्ट को अपने सगे संबंधियों के साथ जरूर शेयर करें – धन्यवाद।